कया आप जानते हैं की कितना मुश्किल होता है हमारे लिए किसी की मौत देखना, खासकर एक डॉक्टर की।
फिर भी ईस विषय पर सोसाइटी में शर्मसार करने वाला एक सन्नाटा है, जिसके लिए मैंने कुछ चंद पंक्तियाँ लिखीं है।
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कहां छिप गए वो मुफ्त कंसल्टेशन माँगने वाले,
कहां छिप गए वो व्हाट्सएप पे 25 पन्नों की लैब रिपोर्ट भेजने वाले,
कहाँ छिप गए वो मुफ़्त मेडिकल सर्टिफिकेट माँगने वाले,
और कहां छिप गए वो खुद को दोस्त बताने वाले
कहाँ हैं वो थाली बजाने वाले,
कहाँ हैं वो कैंडल जलानें वाले,
कहाँ हैं वो हॉस्पिटल पे फूल बरसाने वाले,
और कहाँ हैं वो डॉक्टरों को भगवान बतलाने वाले।।
कहाँ मर गए वो नारे लगाने वाले,
कहाँ मर गये ट्विटेर पे वो झूठे आसुं बहाने वाले,
कहाँ मर गए वो अवार्ड्स लौटाने वाले,
और कहाँ मर गए वो टीवी के न्यूज़ चैनलों पे चिल्लाने वाले।।
क्या डॉक्टर आज बन गए हैं इतने लाचार,
की नहीं मच रहा उनकी मौत पे कोई हाहाकार,
क्यों नहीं हो रहा सोशल मीडिया पर इसका भी प्रचार,
और क्यों नहीं लगाता अब कोई सरकार से गुहार ।।
अभी भी नहीं जागे तुम, तो देश एक दिन रोयेगा,
एक एक करके जब वो अपने, काबिल डॉक्टरों को खोयेगा,
अगर मरते रहे युहीं सबकी जान बचाने वाले,
तोह कैसे कोई इंसान यहाँ सुकूँ की नींद सोयेगा,
तोह कैसे कोई इंसान यहाँ सुकूँ की नींद सोयेगा ।।
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